Ram Navami Ki Kahani | राम नवमी की कहानी | Ram Navami Story in Hindi

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By Nanhe Kisse Anek


Ram Navami Ki Kahani | राम नवमी की कहानी

राम नवमी के लिए चिंटू की उत्सुकता Ram Navami Decoration

सुबह का समय था। अमित अपने घर को फूल और माला से सजा रहा था। चिंटू वहीं पड़ोस में रहता था। वह बड़ी उत्सुकता के साथ अमित के पास गया, और बोला, “अंकल आज सुबह-सुबह आप अपने घर को इतना सुंदर सजा रहे हो, कोई त्यौहार है क्या?” अमित ने जवाब दिया, “हां बेटा आज रामनवमी का दिन है।” इतने में वहां अमित की पत्नी और बेटी टीना भी आ गई। टीना ने पूछा, “चिंटू क्या तुम हमारे साथ रामनवमी की पूजा करोगे?” चिंटू बोला, “लेकिन मैं तो अभी तक नहाया भी नहीं हूं।” टीना की मम्मी ने कहा, “बेटा तुम जल्दी से नहा आओ, तब तक मैं और टीना पूजा की तैयारी कर लेंगे।” चिंटू जल्दी से नहा कर टीना के घर पहुंच गया। सबने मिलकर राम जी की पूजा अर्चना की। पूजा करने के बाद चिंटू ने कहा, “अंकल, आंटी हम रामनवमी तो मनाते हैं, लेकिन इस दिन क्या हुआ था? और इसका क्या महत्व है? अमित ने कहा, “चलो बच्चों में तुम्हें आज राम नवमी की कहानी सुनाता हूं।

सभी देवता विष्णु जी के पास गए

एक बार सभी देवता मिलकर क्षीरसागर विष्णु जी के पास त्राहिमाम त्राहिमाम करते हुए गए। सभी देवता का यही कहना था कि पृथ्वी पर पाप बढ़ रहा है। शांति और सत्य का नाश हो रहा है। लंका के राजा रावण ने हर तरफ आतंक मचाया हुआ है। अचानक से चिंटू बोला, “अंकल लेकिन सभी देवता विष्णु जी के पास ही क्यों गए?” अमित ने बताया, “रावण को ब्रह्मा और शिव जी ने वरदान दिया था। इसलिए सब जानते थे कि सृष्टि के पालनहार विष्णु भगवान ही, अब इस समस्या का समाधान कर सकते है।” 

पुत्र प्राप्ति के लिए राजा दशरथ द्वारा यज्ञ 

अमित ने आगे बताया कि बच्चों एक तरफ सभी देवता मिलकर विष्णु जी के पास गए थे, वहीं दूसरी ओर अयोध्या के राजा दशरथ थे। उनकी कोई संतान नहीं थी। उनकी तीन पत्नियां कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा थी। राजा दशरथ के पास धन, वैभव किसी चीज की कमी नहीं थी। गुरु वशिष्ट जी ने राजा दशरथ को बताया कि आज शुभ मुहूर्त है, कुल देवी से जो मांगना है वो आप मांग सकते है। राजा दशरथ ने कहा, “गुरु जी हमारे पास सब कुछ है, लेकिन कमी है तो सिर्फ संतान की।” वशिष्ठ जी ने राजा दशरथ को कहा, “निराश मत होइए राजन, इसके लिए आपको पुत्र कामेष्टि यज्ञ कराना पड़ेगा।” फिर वेदों के ज्ञाता श्रृंगि ऋषि  द्वारा यज्ञ किया गया। 

यज्ञ की अग्नि कुंड से अग्नि देव एक खीर का कटोरा लेकर प्रकट हुए। उन्होंने वह खीर राजा दशरथ को तीनों रानियों को बराबर बांटने के लिए दे दी, और राजा को आशीर्वाद दिया की तुम्हारी इच्छा पूरी होगी। यज्ञ के बाद राजा ने सभी को दान देकर विदा किया। राजा दशरथ ने सभी को बराबर खीर बांट दी। कैकेयी और कौशल्या ने  छोटी बहन समझकर अपनी खीर का पहला हिस्सा सुमित्रा को खिला दिया। फिर खुद खीर खाई। 

विष्णु जी के सातवें अवतार में श्री राम जी का जन्म
Ram Navami Ki Kahani

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को कौशल्या ने एक तेजस्वी बेटे को जन्म दिया। आज वही तिथि है, जिसे हम राम नवमी कहते है। फिर थोड़े दिनों बाद कैकेयी ने एक पुत्र और सुमित्रा ने दो पुत्रों को जन्म दिया। अमित ने चिंटू और टीना से पूछा, “अच्छा बच्चों बताओ कौन था पहला तेजस्वी शिशु?” दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा और मुंह लटका लिया। अमित ने मुस्कुराते हुए कहा, “वह शिशु कोई और नहीं बल्कि प्रभु श्री राम थे।” गुरु वशिष्ट ने ही श्री राम का नाम रखा था। इतना सुनते ही चिंटू और टीना के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आ गई। चिंटू ने बड़ी खुशी से कहा, “ओह! अंकल यानी कि आज हमारे प्रभु श्री राम जी का जन्मदिन है।” अमित ने कहा, “हां चिंटू तुमने सही पहचाना आज राम नवमी को हम राम जी के जन्मदिवस के रूप में मनाते है।” 

राम नवमी का महत्व

अमित ने आगे बताया, “बच्चों स्वयं विष्णु जी ने ही राजा दशरथ के घर राम के रूप में जन्म लिया ताकि वो दुष्ट और अत्याचारी रावण का अंत कर सके। सभी देवता विष्णु जी के पास आए थे ना रावण के आतंक से बचने के लिए, इसलिए विष्णु जी ने धरती पर राम के अवतार में जन्म लिया। इस दिन सभी मंदिरों को अच्छे से सजाया जाता है। लोग पूजा अर्चना करने मंदिर जाते है। सुंदर और भव्य झांकियां और रथ यात्रा निकाली जाती है। लोग अपने घर और मंदिरों में रामचरितमानस का पाठ करते है। चिंटू और टीना ने कहा, “हम भी मंदिर जाएंगे और झांकियां देखेंगे। मंदिर में पंडित जी हमें प्रसाद भी देंगे।” टीना की मम्मी पूजा की थाली और  प्रसाद बनाकर लाई, और सभी मंदिर चले गए।


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