Raja Aur Ghode Ki Kahani
दृश्य सूची
समृद्ध राज्य और फ्रेडरिक की विजयपूर्ण लड़ाइयाँ
यह बात उस समय की है, जब एक शासित राज्य में एक विख्यात, साहसी और प्रतिष्ठित राजा फ्रेडरिक रहता था। वह राजा अपनी प्रजा के प्रति बहुत कर्तव्यनिष्ठ, दयालु और दानवीर था। राजा अपने इन्हीं गुणों के लिए दूर-दूर के राज्यों में चर्चित था।
राजा जब भी किसी युद्ध के लिए जाता, तो हमेशा विजयी होकर आता था। राजा की विजय में सिर्फ राजा और उसकी सेना की भूमिका नहीं होती थी। बल्कि राजा का एक पसंदीदा घोड़ा था जिसका नाम थंडरहूफ था। राजा जब भी लड़ाई में जाता था, तो अपने घुड़शाला से हमेशा थंडरहूफ को ही बुलवाता था। राजा को पूरा आत्मविश्वास रहता था कि थंडरहूफ के होते हुए वह कभी कोई युद्ध नहीं हारेगा। वह राजा का वफादार घोड़ा था। राजा उसे अपना भाग्यशाली घोड़ा मानता था। ऐसे ही वर्षों तक, राजा एक के बाद एक युद्ध में विजयी होता गया।
दुश्मन राजा के इरादे
राज्य की सीमा पार, दूसरे राज्य का राजा फ्रेडरिक को अपना बड़ा दुश्मन समझता था। क्योंकि वह फ्रेडरिक के राज्य पर विजय पाकर उसे अपने राज्य में मिलाना चाहता था। वो फ्रेडरिक की जीत के पीछे का कारण जानना चाहता था। यह जानने के लिए उसने अपने गुप्तचरों को काम पर लगा दिया। गुप्तचर फ्रेडरिक के राज्य में घुस गए और सैनिकों की सेना में शामिल हो गए।
उधर राजा फ्रेडरिक अपनी सेना के साथ किसी दूसरे युद्ध की रणनीति बना रहा था। वह अपनी सेना को बता रहा था कि अपने दुश्मनों को कैसे पराजित करना है, और कौन-कौन सी नीतियां अपनानी हैं आदि। फ्रेडरिक ने आदेश दिया, “सेनापति युद्ध के लिए थंडरहूफ को तैयार रखना। उसके बिना युद्ध जीतना असंभव है।” ये सब बातें गुप्तचर भी सुन रहे थे। उन्होंने मुस्कुराते हुए एक दूसरे की तरफ देखा।
दुश्मन राज्य का षड्यंत्र और थंडरहूफ पर हमला
अगले ही दिन गुप्तचरों ने अपने राजा को जाकर सारी बातें बताई। यह सब सुनकर फ्रेडरिक का दुश्मन बहुत प्रसन्न हुआ। उसने अपने गुप्तचरों को आदेश दिया, “जाओ, जाकर थंडरहूफ को घायल कर दो ताकि वो युद्ध में ही ना जा सके। ना राजा का घोड़ा जा पाएगा और न ही राजा युद्ध जीत पायेगा।” इतना कहकर सब जोर जोर से ठहाके मार हंसने लगे। गुप्तचरों ने अपने राजा की आज्ञा का पालन करते हुए रात के समय मौका देख थंडरहूफ को बुरी तरह घायल कर दिया और वहां से भाग गए।
अगले दिन जब फ्रेडरिक युद्ध के लिए तैयार हुआ, तो उसने थंडरहूफ को बुलवाया। जब सैनिक घुड़शाला थंडरहूफ को लेने पहुंचा तो उसके पैरों तले से जमीन खिसक गई। वह दौड़ता हुआ राजा के पास गया और उन्हें घोड़े की हालत बताई। फ्रेडरिक ये सुनकर बहुत दुखी और चिंतित हो गया। उन्होंने कहा, “जरूर हमारा कोई दुश्मन हम पर घात लगाए बैठा है।” फ्रेडरिक ने अपने मंत्री को चौकन्ना रहने के लिए आदेश दिया और भारी दिल के साथ दूसरे घोड़े को ले युद्ध पर निकल पड़ा।
थंडरहूफ के बिना राजा युद्ध हार गया। जब वह अपने राज्य वापस आया तो सबसे पहले घुड़शाला अपने भाग्यशाली घोड़े थंडरहूफ से मिलने गया। राजा को देख थंडरहूफ की आँखों से आँसू बहने लगे और वो हिनहिनाने लगा।
राजा की बदलती किस्मत और पराजय
फेडरिक ने थंडरहूफ के इलाज में कोई कमी नहीं छोड़ी। वह रोज सेनापति से उसका हाल चाल पूछता था। उसके घाव धीरे-धीरे भर रहे थे। लेकिन वह अभी युद्ध पर जाने की स्थिति में नहीं था। राजा युद्ध पर दूसरे घोड़ों को लेकर गया। लेकिन उसे किसी भी युद्ध में जीत नहीं मिली। राजा का तो जैसे भाग्य ही पलट गया। इस तरह वह एक पर एक युद्ध हारने लगा। वह चिंतित रहने लगा। फ्रेडरिक का अपने आप पर विश्वास कम हो गया। उसे ऐसा लगने लगा कि वह बिना थंडरहूफ के कभी कोई युद्ध नहीं जीत पाएगा। राजा ने सेनापति को कहा, “तुम रोज फेडरिक को सैर पर लेकर जाया करो ताकि वो और जल्दी ठीक हो सके। जब वह सैर के लिए गया तो थोड़ा सा चलने के बाद बैठ गया। इतने दिनों तक युद्ध पर न जाने के कारण उसका मनोबल गिर गया था। वह अपने अंदर पहले वाली ताकत और ऊर्जा महसूस नही कर पा रहा था। उधर मंत्री ने राजा को सूचना दी, “महाराज हमारे राज्य को चारों तरफ से दुश्मनों ने घेर लिया है वे किसी भी वक्त हमला बोल सकते है।” राजा सुन कर घबरा गए और मंत्री से ही सलाह मांगी, “मंत्री जी हम थंडरहूफ के बिना कुछ नही कर सकते। उसे कैसे पहले की तरह ठीक किया जाए?” मंत्री ने राजा की बातों को ध्यानपूर्वक सुनते हुए उन्हें एक सुझाव दिया। उन्होंने कहा, “हमें एक नकली युद्ध जैसी स्थिति पैदा करनी होगी।” फ्रेडरिक मंत्री की बात से सहमत हो गया।
मंत्री की योजना और थंडरहूफ की वापसी
राजा ने घुड़शाला के आस-पास युद्ध जैसा माहौल बनवा दिया। ढोल, नगाड़े बजने लगे, तलवार के टकराने और ढालों की आवाजें गूंजने लगी। फेड्रिक ने उसे जोर से आवाज लगाई, “थंडरहूफ मेरे दोस्त” मुझे तुम्हारी जरूरत है। यह सब सुनकर उसके अंदर पहले की तरह आत्मविश्वास और ऊर्जा का संचार हुआ। वह हिनहिनाते हुए उठा मानो उसकी रगो में खून चार गुना बढ़ गया हो। उसके अंदर उत्साह और शक्ति पुनर्जीवित हो गई। ! अपने राजा को मुसीबत में देख वह दौड़ता हुआ राजा के पास पहुंचा। राजा की आंखे नम हो गई और उसने थंडरहूफ को गले से लगा लिया। सभी के अंदर खुशी की लहर दौड़ गई। राजा के साथ-साथ सभी के अंदर फिर से विश्वास जगा कि अब वह पहले की तरह कोई भी युद्ध जीत पाएंगे।जिन दुश्मनों ने फ्रेडरिक के राज्य को घेरा हुआ था वे सीमा पार कर अंदर घुस गए। दोनों राज्यों के बीच युद्ध छिड़ गया। फेड्रिक और थंडरहूफ ने पहले की तरह युद्ध को जीत लिया। सारे राज्य में खुशी का जश्न मनाया गया।
कहानी से शिक्षा
इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें अपने अंदर कभी भी समर्पण, संघर्ष, उत्साह और आत्मविश्वास को कम नहीं होने देना चाहिए।
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