lalach buri bala hai | लालची व्यापारी

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By Nanhe Kisse Anek


Lalach buri bala hai par Hindi mein kahani | लालची व्यापारी की कहानी

यह कहानी एक छोटे से शहर की है, जिसमें सोनू नाम का एक व्यापारी रहता था। उसका कपड़ों का व्यापार था। उसकी दुकान शहर की सबसे मशहूर और बड़ी दुकान थी, जहाँ दूर-दूर से लोग कपड़े खरीदने आते थे। दिखने में सोनू सीधा-सादा लगता था, लेकिन अंदर से वह बेहद चालाक और लालची था। उसके व्यापार की खासियत यह थी कि वह पुराने और सस्ते कपड़ों पर नकली टैग लगा देता, और उन्हें ऊंचे दामों में बेचता था। कभी वह कपड़े की क्वालिटी के बारे में झूठ बोलता, तो कभी उसे असली बताते हुए नकली कपड़े बेचता।

सोनू का बढ़ता लालच और चालाकी

sonu shop

सोनू की चालाकी और लालच बहुत बढ़ गया था, कि वह तोल में भी लोगों को धोखा देता था। जब लोग उससे सूती कपड़े या रेशमी साड़ियाँ खरीदने आते, तो वह वजन कम दिखाकर ज्यादा पैसे वसूलता था। उसकी बातों में मिठास इतनी थी कि लोग उसकी चालाकी नहीं पकड़ पाते थे, और उसकी चिकनी चुपड़ी बातों में आ जाते। अगर कोई ग्राहक उसकी  इस धोखाधड़ी को पकड़ लेता था, तो वह अपने कर्मचारियों के साथ मिलकर ग्राहक को झूठा दिलासा देकर वापस भेज देता।

सोनू का लालच इस हद तक बढ़ गया था कि उसने कपड़े की दुकान के अलावा नकली ब्रांडेड कपड़ों का व्यापार भी शुरू कर दिया। उसका लालच लगातार बढ़ता जा रहा था, लेकिन उसकी धोखाधड़ी के खिलाफ कभी किसी ने कड़ी आवाज नहीं उठाई। धीरे-धीरे उसके किस्से बाहर फैलने लगे। सोनू को बेईमानी करने की लत लग चुकी थी। उसके अंदर एक कॉन्फिडेंस था, “कि वह कभी पकड़ा नहीं जाएगा। उसे लगता था कि लोगों को पागल बनाना कितना आसान है, अमीर बनना इतना भी मुश्किल नहीं, जितना लोग कहते है।”

साधु का व्यापारियों को आशीर्वाद

sadhu

एक दिन की बात है, जब शहर से होकर एक साधु गुजर रहा था। साधु, सोनू की दुकान के आस पास ही आराम करने के लिए ठहर गया। कुछ दुकानदार साधु के पास बैठकर बातचीत करने लगे। साधु ने अपना परिचय बताया कि कैसे वह यहां तक आया! पदयात्रा करके उसे कहा पहुंचना है। लोगों ने साधु के प्रति सेवा भाव दिखाया। साधु ने सभी को आशीर्वाद दिया और कहा, “भगवान तुम सभी को  तरक्की दे, सबके व्यापार में बरकत हो लेकिन तुम सब अपना काम बड़ी ईमानदारी से करना, लोगों से ठगी, बेईमानी बिल्कुल नहीं करना, वरना भगवान की लाठी में देर है, पर अंधेर नहीं। हर बुरे कर्म का हमें परिणाम जरूर मिलता है।”

सोनू भी वहीं था, उसने साधु की बातों को हँसते हुए उड़ा दिया और सोचा, “यह सब बेकार की बातें हैं “मैं कितने सालों से लोगों को बेवकूफ बनाता आ रहा हूं, और देखो  मस्त जिंदगी जी रहा हूँ।” सबने आदर सत्कार के साथ साधु को वहां से विदा किया। उसी रात सोनू को सपने में वह साधु दिखाई दिया। साधू जोर-जोर से हंसकर बोल रहा था,”उल्टी गिनती बोलना शुरू कर दे सोनू, तेरा समय आ गया है।” सोनू घबराते हुए उठकर बैठ गया, पसीने में मानो नहा लिया हो। 

बुजुर्ग महिला ने उठाई आवाज

old woman hungama

अगले दिन वह नहा धोकर अपनी दुकान पर पहुंच गया। थोड़ी देर बाद एक बुजुर्ग महिला उसकी दुकान पर साड़ी खरीदने आई। सोनू ने उसे नकली रेशमी साड़ी असली बताकर ऊँचे दाम में बेच दी। जब वह महिला घर पहुंची और साड़ी को धोने लगी, तो साड़ी का रंग उतरने लगा और उसकी हालत खराब हो गई। गुस्से में वह महिला अगले दिन सोनू की दुकान पर वापस आई और उससे लड़ने लगी_ये कैसी साड़ी दी है तुमने?? लोगों को नकली माल बेचकर पैसे ऐंठते हो! सोनू उन्हें शांत करा रहा था, लेकिन वह ज़ोर ज़ोर से बोलने लगी, वहां भीड़ जमा हो गई।

सोनू का असली चेहरा और चौपट व्यापार

अब सोनू की असलियत सबके सामने उजागर थी। इस घटना के बाद लोगों ने एकजुट होकर सोनू का विरोध किया। धीरे-धीरे उसकी दुकान पर ग्राहकों की संख्या कम होने लगी। जहाँ पहले उसकी दुकान पर लोगों की भीड़ लगी रहती थी, अब वहाँ केवल धूल उड़ रही थी। सोनू ने सोचा कि ये सब अस्थायी है। थोड़े समय के बाद लोग सब भूल जाएंगे और व्यापार फिर पहले की तरह चलने लगेगा। हर रोज वह उम्मीद के साथ दुकान पर जाता, लेकिन खाली हाथ उदास होकर ही घर लौटता। 

रात को लेटे हुए सोच रहा था कि कहीं साधु की बात सच तो नहीं है? उसके साथ अजीब घटनाएँ घटने लगीं। उसका सामान अपने आप इधर-उधर हो जाता। कभी-कभी उसे घर के अंदर किसी के चलने की आवाजें सुनाई देती, लेकिन जब वह देखने जाता, तो वहाँ कोई नहीं होता। उसे सपनों में भी डरावनी चीजें दिखने लगीं। सोनू को लगा कि कोई उसके साथ खेल कर रहा है। समय बीतता गया, हालात और बिगड़ते गए। नए व्यापारी गाँव में आ गए, जिन्होंने ईमानदारी से व्यापार किया। लोगों ने सोनू की दुकान पर आना पूरी तरह से बंद कर दिया। उसका व्यापार धीरे-धीरे चौपट होने लगा, और उसकी आमदनी पूरी तरह से रुक गई।

गलती का अहसास

अब सोनू की दुकान पर कपड़ों का स्टॉक भरा पड़ा था। वह माल को कम दाम में बेचने के लिए तैयार था, लेकिन कोई लेने को तैयार नहीं था। उसके पास न तो नए कपड़े खरीदने के पैसे बचे थे, न ही दुकान की मरम्मत कराने के। उसकी दुकान के शटर पर जंग लगने लगा, और अब अक्सर दुकान बंद ही रहने लगी। सोनू अब अकेला और हताश हो गया था। उसने महसूस किया कि उसकी चालाकियाँ ही उसकी बर्बादी की जड़ हैं।

कुछ दिनों बाद सोनू काफी बीमार हो गया। डॉक्टर ने बताया कि उसकी हालत गंभीर है। अब सोनू बहुत डर गया था। उसे लगने लगा कि साधु की कही बात सच हो गई है। भगवान की लाठी ने उसे पकड़ लिया है। उसके मन में बेचैनी बढ़ती गई और वह गांव के बड़े मंदिर में साधु को ढूंढने गया। वहाँ साधु ने सोनू को देखते ही कहा, “समय आ गया है कि तुम अपने कर्मों का भुगतान करो। सोनू ने रोते हुए साधु के चरणों में गिरकर माफी मांगी और कहा, “मुझे क्षमा करें। मैंने बहुत लोगों को धोखा दिया है, उनका विश्वास तोड़ा है। लोगों के साथ ठगी करी है।”

साधु की सलाह और सोनू का प्रायश्चित 

साधु ने उसे सलाह दी कि वह अपने सारे बुरे कर्मों का प्रायश्चित करे और जिन लोगों को उसने धोखा दिया है, उनसे माफी मांगे। सोनू ने साधु की बात मानी। उसने ईमानदारी से जीवन जीने की कसम खाई। कुछ ही दिनों में उसकी तबीयत में सुधार होने लगा, और वह स्वस्थ हो गया। सोनू अपने पुराने ग्राहकों के घर गया और उनसे माफी मांगने लगा। उसने स्वीकार किया कि उसके लालच और धोखेबाज़ी ने उसे इस हाल में पहुंचाया है। 

honesty

शहर वालों ने उसकी सच्चाई को सुनकर उसे माफ कर दिया, लेकिन उसे यह साफ कर दिया कि अब वह तभी सफल हो सकता है, जब वह ईमानदारी और सच्चाई के रास्ते पर चलेगा। सोनू ने धीरे-धीरे अपनी गलतियों से सीख कर फिर से व्यापार शुरू किया, लेकिन इस बार पूरी ईमानदारी के साथ। उसे यह समझ आ गया कि भगवान की लाठी में देर है, पर अंधेर नहीं। जो जैसा करता है, वैसा ही पाता है। रोज ग्राहकों की संख्या बढ़ती गई। लोगों को उसके कपड़ों की क्वालिटी पसंद आने लगी। अब वह सही दाम पर कपड़े बेचने लगा। उसकी दुकानदारी धीरे धीरे पहले की तरह चलने लगी। सोनू को अंदर से बहुत सुकून मिला और वह बहुत खुश था। 

कहानी से सीख:

कहानी से यह सीख मिलती है कि भगवान की लाठी कभी भी किसी को नहीं बख्शती। बुरे कर्मों का परिणाम अवश्य मिलता है। काम छोटा हो या बड़ा, हमें ईमानदारी से करना चाहिए।


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