Diwali Ki Safai | दिवाली की सफाई
दृश्य सूची
कौन करेगा घर की सफाई
चीकू और गोलू बहुत खुश थे, क्योंकि स्कूल का आखिरी दिन था। दिवाली की छुट्टियां पड़ गई थी। दोनों घर आते हुए प्लानिंग कर रहे थे की कैसे और कौन से पटाखे छुड़ाएंगे। खूब सारी मिठाइयां और अच्छी-अच्छी पकवान खायेंगे।
जब दोनों घर पहुंचे तो मम्मी ने हाथ मुंह धोने के लिए कहा और उनका खाना लगा दिया। मम्मी-पापा भी साथ में खाना खा रहे थे। खाना खाते हुए मम्मी ने कहा, “बच्चों आज से तुम्हारी छुट्टियां पड़ गई हैं। अब सब को मिलकर घर की सफाई करनी है।” चीकू और गोलू एक दूसरे की तरफ देखने लगे मानो जैसे उन्हें आगे खाना निगलना मुश्किल हो गया हो। पापा ने कहा, “देखो, मुझे तो आफिस का बहुत काम है, मैं तो सफाई नहीं करवा सकता।” चीकू और गोलू भी बोले, “मम्मी हमें भी स्कूल का बहुत सारा होमवर्क मिला हुआ है तो हम भी सफाई नहीं करवा पाएंगे।” मम्मी बोली कि ठीक है मुझे तो वैसे ही घर का बहुत काम होता है मैं भी रहने ही देती हूँ।
मम्मी ने करवाई चालाकी से सफाई
अगली सुबह मम्मी ने सभी को नाश्ते के लिए बुलाया। सब आराम से नाश्ता कर रहे थे। मम्मी ने बताया, “मेरी सोने की अंगूठी कही गिर गई है मुझे मिल नहीं रही।” पापा बोले अरे इधर-उधर काम करते वक्त रख दी होगी तुमने ध्यान से देखो मिल जाएंगी। मम्मी ने कहा कि मैं कभी उसे निकालती ही नहीं थी। चीकू ने कहा, “मम्मी आप कहीं रख कर तो नही भूल गए?” गोलू बोला की अरे बुद्ध मम्मी ने बताया तो कि वे उसे हमेशा पहने रहती थी। पापा ने कहा, “कोई बात नहीं मैं तुम्हारी मम्मी की हेल्प करा दूंगा ढूंढने में।” मम्मी हम भी आपकी हेल्प कर देंगे, ऐसा बच्चों ने कहा।
किसी ने बिस्तर के नीचे देखा तो किसी ने सोफे हटा कर कोने में देखा। साथ-साथ सफाई भी होती गई। अलमारी में ढूंढते वक्त पापा को अपने माता पिता के साथ अपनी बचपन की एक पुरानी फोटो मिली जिसे देख कर वे भावुक हो उठे। उधर गोलू चीकू को भी अपना एक लाइट वाला पेन मिला जो गुम हो गया था। मम्मी ने कहा, देखो तुम सब मेरी अंगूठी देख रहे थे। लेकिन सबको अपनी पुरानी चीजें मिल रही है, जिसके कारण सबके चेहरे पर खुशी आ गई। लगभग सारे घर की सफाई हो गई थी। थक कर सब बैठ गए।
चाय समोसे और मम्मी की सच्चाई
मम्मी सबके लिए चाय समोसे ले आई। चाय समोसे देख कर सबके चेहरे खुशी से चहक गए। पापा ने कहा, “थकान के बाद चाय और समोसे वाह! मजा आ गया।” चीकू और गोलू ने भी कहा, “हां मम्मी सच में मजा ही आ गया। लेकिन आपकी अंगूठी कहीं नहीं मिली। मम्मी ने दबी आवाज में कहा, ” जब अंगूठी कहीं गुम ही नहीं हुई तो मिलेगी कहां से।” “तुमने कुछ कहा क्या?”, पापा ने पूछा। मम्मी ने बताया कि बेटा अभी जब चाय बनाने गई तो मुझे याद आया कि वो अंगूठी तो मैंने सुनार को दी हुई है, ठीक होने के लिए। इतना सुनकर चीकू, गोलू और पापा को धक्का लगा। सबने मम्मी की तरफ शक की निगाह से देखा।
मम्मी जोर जोर से हंसने लगी और कहा,”मां हूं मैं तुम्हारी मां।” पापा ने कहा, “तुम बच्चों की ही नहीं मेरी भी मां निकली।” मम्मी बोली, “देखो सबने मिलकर सफाई की तो कितनी जल्दी हो गई। सारा घर कितना चमक रहा है। मैं अंगूठी वाली बात नहीं बोलती, तो तुम सब अपना अपना बहाना लगा कर बैठ ही गए थे। मम्मी की होशियारी देख सब हंसने लगे।
अगले दिन सुबह सब जल्दी उठ गए। चीकू और गोलू ने भी नहा धोकर नए नए कपड़े पहन लिए।
सबने मिलकर घर को सजाया
पापा-मम्मी, गोलू और चीकू को उनके बम पटाखे दिलाने मार्केट ले गए। मम्मी ने घर की साज सजावट के लिए रिबन, शुभ दीपावली और तोरण खरीदी। घर आकर सब घर को सजाने लगे। पूरे घर में पापा ने लाइट लगा दी। चीकू और गोलू रंगोली बनाने में मम्मी की हेल्प कर रहे थे। फिर मुहूर्त के समय सबने पूजा करी बहुत सारे दीपक और कैंडल जलाई। पूरा घर एक दम जगमगा उठा था। सबने एक दूसरे को मिठाई खिलाई। चीकू और गोलू ने मम्मी-पापा के पैर छुए और गले लग गए। फिर खुशी खुशी सब बाहर पटाखे जलाने चले गए।
कहानी से सीख
इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि अगर हम मिलकर एक साथ काम करते है तो वह बहुत जल्दी और अच्छा हो जाता है।