Diwali Ki Kahaniyan | दिवाली की कहानियाँ | Diwali Story in Hindi

Photo of author

By Nanhe Kisse Anek


Diwali Story in Hindi

बच्चों का होमवर्क और दादा जी
children playing carrom

एक समय की बात है जब मोहन और सोनाली आपस में कैरम बोर्ड खेल रहे थे। वही थोड़ा दूर कुर्सी पर बैठे दादा जी न्यूजपेपर पढ़ रहे थे। खेलते-खेलते दोनों बातें करने लगे। मोहन ने कहा, “सोनाली तुमने अपना होमवर्क कर लिया जो मैडम ने दिया था?” सोनाली ने कहा कि मैं तो करना ही भूल गई और तुमने किया क्या? मोहन ने भी मना कर दिया। दोनों कैरम बोर्ड छोड़ कर अपनी-अपनी नोटबुक खोल कर बैठ गए। सोनाली ने कहा, “अरे मोहन इसमें तो मैडम ने दिवाली क्यों मनाई जाती है? उसके ऊपर दो कहानियां लिखने के लिए बोला हुआ है, मुझे तो बस एक ही पता है।” मोहन ने कहा, “हां मुझे भी एक ही पता है। लेकिन अब हम अपना होमवर्क कैसे करेंगे?”

सोनाली ने एकदम कहा, “आइडिया हमारे दादा जी है ना उन्हें जरूर पता होगा।” दोनों दादा जी के पास जा बैठे और उनसे पूछने लगे कि दादा जी देखो ना मैडम ने दिवाली की दो कहानियां लिखने को दे दी हमें तो लेकिन बस एक ही पता है। दादा जी मुस्कुराने लगे और बोले, “बच्चों मुझे तो चार-चार पता है।” दोनों ने उत्साह के साथ कहा, “वाओ दादा जी आप तो ग्रेट हो। अब आप हमें चारों कहानियां सुना दो प्लीज।” ठीक है बच्चों पहले सबसे लोकप्रिय कहानी ही सुनाता हूं।

राम जी के 14 वर्ष के वनवास के बाद वापसी 
Ramji Returning to Ayodhya

हां दादा जी बस यही कहानी हमें पता है। कोई बात नहीं बेटा अब मैं बारी-बारी से तुम्हें सारी कहानियां सुना दूंगा। अब ध्यान से सुनो, राम जी ने रावण का वध करके माता सीता को छुड़ा लिया था। 14 वर्ष का वनवास पूरा होने पर राम, लक्ष्मण और सीता जी अयोध्या वापस लौट आए थे। उनके वापस अयोध्या लौटने पर उनका भव्य स्वागत किया गया था। खुशी में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाए थे। बस तभी से दिवाली का त्यौहार मनाया जाने लगा।

पांडवों का अपने राज्य वापस आना
pandavas loosing chausar

बच्चों मैंने तुम्हें कुछ दिनों पहले ही अर्जुन और कौरवों के बारे में बताया था। अब जो कहानी सुनाऊंगा वह महाभारत की ही है। कौरवों ने शकुनि की सहायता से छलपूर्वक, चौसर के खेल में पांडवों को हरा दिया था। हार जाने के बाद पांडवों को अपना सब कुछ त्यागना पड़ा। उन्हें राज्य छोड़ कर 12 वर्ष का वनवास और एक वर्ष का अज्ञातवास जाना पड़ा। दिवाली के दिन ही पांडव अपना 13 वर्ष का वनवास पूरा करके अपने राज्य वापस आए थे। उनके आने की खुशी में राज्य के लोगों ने दीप जलाए थे। बस तभी से कार्तिक अमावस्या को दिवाली मनाई जाने लगी। 

सत्यभामा द्वारा नरकासुर का वध
Diwali Story Satyabhama attacking Narakasura

दीपावली का त्यौहार मनाने का एक और प्रमुख कारण है नरकासुर का वध। नरकासुर एक बहुत ही दुष्ट और अत्याचारी राक्षस था। उसने कठोर तप करके बड़ी चतुराई के साथ ब्रह्मा जी से वरदान मांगा था कि उसकी मृत्यु सिर्फ उसकी माता के हाथों ही हो। क्योंकि वह जानता था कि कभी कोई मां अपनी संतान की हत्या नहीं कर सकती।16100 कन्याओं को उसने बंदी बनाया हुआ था। उसका आतंक बहुत बढ़ गया था। तब श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी  सत्यभामा की मदद से नरकासुर का संहार किया था। उसी खुशी में लोगों ने दीपक जलाए थे। 

समुद्र मंथन से प्रकट मां लक्ष्मी

दादा जी ने पूछा, “अच्छा बच्चों बताओ दिवाली वाले दिन हम मां लक्ष्मी की पूजा क्यों करते है?” बच्चों ने कहा दादा जी हमें तो नहीं पता आप ही बताओ ना इसके पीछे की कहानी। दादा जी हंसने लगे और कहा, “अरे मेरे प्यारे भोले बच्चों जरूर बताऊंगा। तो सुनो, देवताओं और राक्षसों के बीच समुद्र मंथन हुआ था। समुद्र मंथन के दौरान 14 रत्न निकले थे। विष, अमृत और सबसे आखिर में समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी प्रकट हुई थी। कहते है जिस दिन मां लक्ष्मी प्रकट हुई थी, उस दिन कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या थी। लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है। इसलिए दिवाली के दिन हर घर में दीप जलने के साथ-साथ मां लक्ष्मी जी की पूजा भी करते है।” 

Maa Lakshmi

“बच्चों तुमने एक बात नोटिस की?” दादा जी ने कहा। सोनाली ने तुरंत जवाब दिया हां दादा जी, “भले ही दिवाली मनाने के पीछे अलग-अलग कहानियां है लेकिन तात्पर्य एक ही है। दिवाली दीपों का त्योहार है। अंधेरे से उजाले, अधर्म से धर्म, और पाप से पुण्य का त्यौहार है।” दादा जी ने कहा, “शाबाश मेरी बच्ची। तुम भी कुछ समझे मोहन। बेटा इसलिए दिवाली बड़ी धूमधाम से सब लोग मिलजुल खुशी से मनाते है।”


Leave a Comment