Jal Hi Jeevan Hai Story in Hindi
छोटे से गांव में डेजी नाम की एक लड़की रहती थी। वह बहुत प्यारी और सुंदर थी। उसके घर के पास ही एक तालाब था। जहां अक्सर वह जाया करती थी। वहां अलग-अलग तरह की रंग बिरंगी मछलियों को देखकर उसे बहुत सुकून मिलता था। वह अपना काफी समय वहां बैठ कर बिताया करती थी। उसे मछलियों से बाते करना अच्छा लगता था। मछलियों को भी डेजी की आदत सी हो गई थी। अगर वह किसी दिन वहाँ नही जाती तो मछलियां भी उदास हो जाती। उन्हें भी डेजी का रोज उनसे मिलने आना अच्छा लगता था।
डेजी पानी से खेलने की बहुत बड़ी शौकीन थी। वह अलग-अलग तरह से पानी के साथ खेला करती। डेजी कभी नल चला कर खड़ी हो जाती तो कभी एक बर्तन से दूसरे बर्तन में पानी को उड़ेलते हुए गिरा देती। और तो और वह साफ पानी से भरे बर्तन में मिट्टी डाल देती थी। डेजी की मां उसकी इन सब हरकतों से काफी परेशान थी। मां उसे गुस्सा करती और प्यार से भी समझाती। लेकिन डेजी उनकी एक न सुनती और पानी को ऐसे ही खराब करती रहती।
एक दिन की बात है, जब डेजी की मां किसी काम से बाहर गई हुई थी। डेजी मौका देख नल खोल कर खेलने लगी। पानी से खेलने में उसे बड़ा मजा आ रहा था। थोड़ी ही देर बाद उसे मां की आवाज सुनाई दी। मां के डर से डेजी जल्दी-जल्दी में नल बंद करना भूल गई। जब वो बाहर गयी तो उसने देखा कि मां पड़ोस वाली आंटी से बात कर रही थी। उन्होंने इशारे से डेजी को अपने पास बुलाया।
थोड़ी देर बाद जब डेजी और मां घर आए तो सारे घर में पानी भरा देखकर मां का चेहरा गुस्से से लाल पीला हो गया। उन्होंने डेजी की ओर गुस्से भरी नजरो से देखा और डांट लगाई। मां बड़बड़ाने लगी, “ना जाने इस लड़की को कब अक्ल आयेगी”। क्या हाल हो गया सारे घर का। “डेजी तुम्हें पानी की कीमत क्या होती हैं, इसका कोई अंदाजा है? मैं तुम्हे समझा समझा कर थक गई हूं।” मां की डांट खाकर वह दुखी हो गई थी। अगले दिन वह तालाब किनारे जाकर बैठ गई। डेजी को उदास देख वहां पिक्सी नाम की एक मछली आई।
पिक्सी ने डेजी से पूछा, “क्या हुआ डेजी? आज तुम उदास लग रही हो।” डेजी बताती हैं, “हां आज मां से खूब डांट पड़ी।” पिक्सी, “ओह। तभी मैं सोचूं तुम्हारा चेहरा इतना क्यों लटका हुआ है। चलो अब छोड़ो भी, देखो मैं तुम्हे कितना ऊंचा कूद कर दिखाती हूं।” फिर पिक्सी को देखकर, डेजी जोर जोर से तालियां बजाने लगी और इस तरह उन दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई। कुछ दिनों बाद डेजी ने पिक्सी से पूछा, “क्या तुम मेरे साथ मेरे घर चलोगी?” पिक्सी ने हां कर दी और उसके साथ घर आ गई।
डेजी ने पिक्सी का पूरा ख्याल रखा। वह उसे टाइम से खाना देती और समय-समय पर उसका पानी बदलती। उसके साथ बातें भी करती। डेजी को जब भी मौका मिलता, वह पानी से खेलने में पीछे न रहती। पिक्सी भी उसे मना करती थी कि इस तरह पानी बरबाद मत किया करो डेजी। लेकिन उसे किसी की बात समझ नही आती और लगातार ऐसे ही पानी को खराब करती।
एक दिन वह पिक्सी को उठा रही थी, तो अचानक से उसके हाथ से पिक्सी का बर्तन छुट गया और आधे से ज्यादा पानी नीचे गिर गया। पानी कम होते ही पिक्सी फड़फड़ाने लगी और उसे इस तरह देख डेजी घबरा गई। पिक्सी ने कहा, “जाओ डेजी जल्दी से मेरे लिए पानी ले आओ नही तो मैं ऐसे ही तड़प-तड़प कर मर जाऊंगी।” डेजी भागकर पानी लेने गई और जब नल खोला तो पानी ही नही आया। क्योंकि पानी खत्म हो चुका था।
डेजी ने कहा, “आज तो मां भी घर पर नहीं हैं। अब क्या करूं? कुछ समझ नही आ रहा।” फिर जल्दी से डेजी, पिक्सी के बर्तन को उठा कर तालाब किनारे दौड़ती हुई गई और पिक्सी को तालाब में छोड़ दिया। पिक्सी को फिर खुशी से तैरते हुए देख डेजी ने एक लम्बी सांस ली। पिक्सी ने कहा,” डेजी अब तुम्हें समझ आया, पानी कितना कीमती है। पानी है तो जीवन है।” डेजी ने कहा, “हां पिक्सी मैं समझ गई। मां मुझे हमेशा समझाती थी कि पानी को बचाना चाहिए। पानी हम सब के जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। लेकिन मैंने उनकी कभी कोई बात नहीं मानी। आज मैंने अपनी आंखों से देख लिया कि पानी कितना आवश्यक है।” इस तरह डेजी को अपनी गलती का अहसास हुआ। उसने पिक्सी से माफ़ी मांगी और आगे से पानी को खराब न करने का निर्णय लिया।
कहानी से शिक्षा:
इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि जल ही जीवन है। पानी को हमेशा बचना चाहिए। पानी हम सभी के लिए अति आवश्यक है।