एक जंगल था जिसमें बहुत सारे, अनेक तरह के छोटे बड़े जानवर रहा करते थे। जैसे हाथी, हिरण, बंदर, भालू, कछुआ, लोमड़ी आदि। वे सभी खुशी-खुशी एक साथ और प्यार से रहते थे। जंगल में एक बहुत बड़ा तालाब था। जहां सभी जानवर पानी पीने जाया करते थे। कुछ समय बाद बारिश का मौसम आता है और सभी जानवर खुशी से नाचने लगते है। बारिश से तालाब का पानी मीठा हो जाता है और सभी जानवर तालाब के पानी का आनंद लेते है।
अगले ही दिन एक चतुर कछुआ पानी पीने के लिए तालाब किनारे जाता है। जब वह पानी पी रहा होता है, तभी अचानक से एक मगरमच्छ उस पर हमला कर देता है। लेकिन कछुआ जैसे तैसे करके अपनी जान बचा लेता है। कछुआ, मगरमच्छ को देखकर डर जाता है। वह मगरमच्छ से पूछता है, “तुम इस तालाब में कैसे आए?” मगरमच्छ बताता है कि बारिश का मौसम चल रहा है। नदी में पानी बढ़ने के कारण मैं तैरता हुआ यहां तक पहुंच गया। कछुआ कहता है, “मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है कि तुम मुझे मारना चाहते हो”? “मैं भूखा हूं, तुम्हें खा कर अपनी भूख मिटाना चाहता था।” मगरमच्छ आगे कहता है, “अगर तुम इस तालाब का पानी पीना चाहते हो तो तुम्हे मेरे लिए कुछ खाने का इंतजाम करना पड़ेगा”। कछुआ कहता है कि मगर ये तालाब तो हम सभी जंगल के जानवरों का है। इस तरह तुम इस पर अपना कब्ज़ा नही जमा सकते। मगरमच्छ हँसते हुए कहता है, “अब यह मेरा तालाब है और इस पर अब सिर्फ मेरा राज चलेगा। अगर तुम्हें पानी पीना है तो मेरी बात माननी पड़ेगी”।
यह सब सुनकर कछुआ उसे कुछ खाने को लाकर दे देता है ताकि मगरमच्छ अपनी भूख को शांत कर सके और उसे तालाब से पानी पीने दे। कछुआ इस बारे में सभी जानवरों को भी बताता है। पूरी बात सुनकर सभी जानवरों के अंदर एक डर सा बैठ जाता है। इस तरह जब भी कोई जानवर तालाब में पानी पीने जाता, तो वह मगरमच्छ के लिए खाने का बंदोबस्त करके जाता। कुछ समय तक यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहा। जंगल के सभी जानवर मगरमच्छ के इस व्यवहार से बहुत दुखी हो चुके थे।
वे सब मिलकर एक सभा बुलाते हैं जिसमे सब विचार करते हैं कि मगरमच्छ के इस आतंक से कैसे छुटकारा पाया जा सकता है। तभी कछुए को एक उपाय सूझता है और वह सभी को अपने प्लान के बारे में बता देता है। सभी कछुए की बात से सहमत हो जाते हैं। कछुआ सभी जानवरों को तालाब किनारे आने के लिए कहता है। सभी कछुए के कहे अनुसार वहाँ पहुँच जाते हैं। कछुआ मगरमच्छ के सामने एक प्रस्ताव रखता है कि जंगल के सभी जानवर एक दौड़ प्रतियोगिता रखना चाहते हैं। तुम्हें उसके लिए तालाब से बाहर आना होगा। अगर तुम प्रतियोगिता जीत जाते हो तो यहां तुम्हारा ऐसे ही राज चलता रहेगा। लेकिन अगर तुम हारते हो तो तुम्हे यह तालाब छोड़ कर जाना पड़ेगा। मगरमच्छ प्रस्ताव को स्वीकार कर लेता है और फिर दौड़ शुरू होती है।
मगरमच्छ तेजी से आगे बढ़ता है और दूसरी तरफ कछुआ भी अपनी मंजिल पर नजरे गड़ाए हुए अपनी धीमी रफ्तार से दौड़ता है। मगरमच्छ पानी की अपेक्षा जमीन पर इतनी तेजी से नहीं चल पाता और वह थक कर थोड़ी देर के लिए रुक जाता है। कछुआ धीरे धीरे करके मगरमच्छ से थोड़ा आगे निकल जाता है। कछुए को आगे निकलता देख मगरमच्छ फिर से दौड़ने लगता है। कुछ दूर आगे निकलकर वह फिर से थक कर रुक जाता है। वहीं पेड़ के ऊपर बैठा एक बंदर मगरमच्छ के सामने मांस का एक टुकड़ा लटका देता है। जिसे देखकर मगरमच्छ की जीभ लपलपाने लगती है। मगरमच्छ जैसे ही टुकड़े की ओर लपकता है, बंदर तुरंत उस टुकड़े को ऊपर खींच लेता है। इस तरह बंदर उसका ध्यान मांस के टुकड़े की तरफ लगाये रखता है। कछुआ धीरे धीरे करके मगरमच्छ से आगे निकल जाता है और प्रतियोगिता जीत जाता है। सभी जानवर खुशी से तालियां बजाने लगते हैं और कछुए को बधाई देते हैं।
इस तरह निराश होकर मगरमच्छ को वह तालाब छोड़ कर जाना पड़ता है। जंगल में फिर से खुशी की लहर दौड़ पड़ती है और सब पहले की तरह बिना किसी डर के हंसी खुशी रहने लगते है।
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