Chand Sa Chehra Story in Hindi
दृश्य सूची
परिवार का परिचय
यह कहानी एक गांव की, जिसमें चीनू अपने संयुक्त परिवार के साथ रहती थी। परिवार में चीनू के मम्मी-पापा, चाचा-चाची और उनकी बेटी विना रहती थी। चीनू बहुत सुंदर थी। वह पूरे गांव में अपनी सुंदरता के लिए जानी जाती थी। वही दूसरी तरफ विना का रंग थोड़ा सांवला था। विना की मम्मी यानी कि चीनू की चाची, उसकी सुंदरता से अंदर ही अंदर जलती थी। लेकिन चीनू अपनी चाची और बहन विना से प्यार करती थी। चीनू और विना एक ही क्लास में पढ़ते थे। एक साथ उठते बैठते थे।
अचानक मम्मी का चल बसना
अचानक से चीनू की मम्मी की तबीयत खराब रहने लगी और थोड़े ही दिनों बाद वह चीनू को छोड़ कर हमेशा के लिए चली गई। चीनू के पापा और चाचा ने चीनू को संभाला, “बेटा चुप हो जाओ। हम सब है ना।” तभी चाची भी बोली, “हां चीनू रो मत बेटा। मैं भी तो तेरी माँ जैसी ही हूं। जैसे मैं विना को प्यार करती हूं, ऐसे ही तुझे भी करूंगी।” विना ने भी कहा, “हां चीनू हम साथ में रहेंगे मैं भी तो तुम्हारी बहन हूं।” चीनू के पापा को तसल्ली हो गई कि सब उनकी बेटी का अच्छे से ख्याल रखेंगे। सबके होते हुए उसे कभी अपनी माँ की कमी महसूस नहीं होगी।
चाची का दोनों बच्चों में भेदभाव
थोड़े दिनों बाद चीनू के पापा काम के चक्कर में शहर चले गए। चीनू वहीं गांव में चाचा-चाची के पास रहती थी। चाचा सुबह काम पर निकल जाते और रात को घर लौटते थे। चाची, चाचा के सामने तो चीनू से अच्छे से पेश आती थी। लेकिन पीछे से वह चीनू और विना में भेदभाव करती थी। धीरे-धीरे उसने दोनों बच्चियों में बहुत ज्यादा फर्क करना शुरू कर दिया था। स्कूल टिफिन भी विना की पसंद का ही बनता था। अगर किसी दिन चीनू फरमाइश भी कर देती थी, तो चाची उसे डांट कर भेज देती थी।
सारा दिन चाची चीनू से ही काम करवाती लेकिन विना को किसी काम के लिए नहीं बोलती। चीनू को अपनी मम्मी की बहुत याद आती थी। “मम्मी आप ने कभी मुझसे इस तरह काम नहीं कराया जैसे चाची करवाती है।” स्कूल से आने के बाद भी चाची, चीनू से घर के काम करवाती थी और विना बस हुकुम चलाती थी। अपनी मम्मी को देख देख कर विना का रवैया भी चीनू के प्रति खराब हो गया था।
राजकुमारी प्रतियोगिता और चाची की जलन
कुछ दिनों बाद स्कूल में राजकुमारी प्रतियोगिता की घोषणा हुई। जिसमें चीनू और विना ने भी भाग लिया था। घर आकर विना ने अपनी मम्मी को प्रतियोगिता के बारे में बताया। मम्मी ने विना को कहा, “विना तुम्हें ही यह प्रतियोगिता जितनी है। तुम्हारे पास कितना सुंदर गाउन भी है, और राजकुमारी की तरह मैं तुम्हें तैयार कर दूंगी। चीनू के पास तो अच्छे कपड़े भी नहीं है और मैं उसे तैयार भी नहीं करूंगी।”
दूसरी तरफ शाम को चाचा के घर आने के बाद चीनू ने बताया, “चाचा जी हमारे स्कूल में कुछ दिनों बाद राजकुमारी प्रतियोगिता है, जिसमें मैं राजकुमारी बनकर जाऊंगी। लेकिन मेरे पास अच्छे कपड़े नहीं है।”
चाचा ने कहा, “कोई बात नहीं बेटा मैं तुम्हें एक सुंदर सी ड्रेस भी दिला दूंगा। चांद सा चेहरा है मेरी बच्ची का। देखना, तुम ही जीत कर आओगी।” चाची वहीं खड़ी होकर ये सब सुन रही थी। उनकी जलन चीनू के प्रति इतनी बढ़ गई थी कि उसने ठान लिया था कि वो उसे किसी भी कीमत पर जीतने नहीं देगी।
चाची का लेप और चीनू का खराब चेहरा
चाची, ने चीनू को एक लेप देते हुए कहा, “चीनू बेटा ये लो मैंने तुम्हारे लिए यह लेप तैयार किया है, इसे लगा लो फिर तुम्हारा चेहरा एक दम चाँद की तरह चमकेगा। राजकुमारी प्रतियोगिता में तुम और भी सुंदर दिखोगी।” चाची ने उसमें ऐसा कुछ मिला दिया था, जिससे कि चीनू का सारा चेहरा खराब हो जाए। चाची के मीठे बोल पर विश्वास करके चीनू ने लेप मुंह पर लगा लिया।
थोड़ी देर बाद चीनू को चहरे पर जलन होने लगी। उसने चाची से कहा भी, “चाची इसे लगाने से मुझे जलन हो रही है।” “अरे नहीं नहीं बेटा ये तो मेरा घर का बनाया हुआ है इसमें जलन भला कैसे लग सकती है।” चीनू ने सोने से पहले लेप को उतार दिया और सो गई। जब वह सुबह उठी तो उसे अजीब महसूस हो रहा था। उसने जब शीशे में देखा तो उसका रंग काला पड़ गया था। सारे चेहरे पर फुंसियां, दाग हो गए थे। खुद को इस हालत में देख कर वह जोर जोर से रोने लगी।
चाचा ने उसके रोने की आवाज सुनी और उसके पास गए। “चीनू बेटा ये क्या हो गया?” पता नहीं चाचा जी, मैने चाची का दिया हुआ लेप जरूर लगाया था, उसको लगाने के बाद जलन भी हो रही थी।” चाचा ने गुस्से से चाची की तरफ देखा। चाची हड़बड़ा गई और बोली, “नहीं बेटा ये तो घर का बना हुआ लेप था। लगता है तुम्हें कोई बीमारी हो गई है।” चाचा ने गुस्से में आकर चाची को अंदर भेज दिया। वे जानते थे कि वह, चीनू को पसंद नहीं करती। चीनू रोते रोते बाहर चली गई और कहने लगी मैंने तो कभी किसी का बुरा नहीं करा। मेरे साथ ये क्या हो गया।
माँ की ममता और चीनू राजकुमारी
चीनू एक पेड़ के नीचे बैठ गई। वह अपनी माँ को याद करके रोने लगी, “माँ आप होती तो मेरा ये हाल ना होता। देखो मैं कितनी गंदी दिखने लगी हूं। माँ कहा हो आप प्लीज मेरे पास आ जाओ।” बेटी को इतना दुखी देखकर माँ से रहा न गया। माँ की ममता खींची चली आई। “बेटा चीनू चुप हो जा मेरी बच्ची।” माँ को देख चीनू खुश भी हुई और रोने भी लगी। “माँ आप मुझे छोड़ कर क्यों चली गई। मैं यहां कितनी अकेली हूं, कोई मुझे प्यार नहीं करता। देखो मेरा चेहरा भी कितना खराब हो गया।” माँ ने कहा, “परेशान मत हो चीनू मैं अभी तुझे सुंदर कर देती हूं।”
माँ ने अपनी शक्ति से चीनू को पहले से भी सुंदर बना दिया। फिर से चांद सा चेहरा हो गया चीनू का। माँ ने उसे एक सुंदर राजकुमारी की ड्रेस भी पहना दी। चीनू बहुत खुश हो गई अपने आप को राजकुमारी की ड्रेस में देख कर। माँ ने कहा, “चीनू अब तुम यही से सीधा स्कूल चली जाओ।” जब चीनू स्कूल गई तो सब उसकी तरफ देखते रह गए। चीनू को देखकर विना और चाची तो हक्की बक्की रह गई। वो इतनी सुंदर लग रही थी कि किसी की नजर उस से हट ही नहीं रही थी।
चीनू चली पापा के साथ शहर
राजकुमारी की प्रतियोगिता चीनू जीत गई। जब वह घर आई तो वहां पापा भी शहर से आए हुए थे। चीनू पापा को देख गले लग गई और रोने लगी। पापा ने कहा, “अरे पगली क्या हुआ ऐसे क्यों रो रही है।” चीनू ने कहा, “कुछ नहीं पापा बहुत दिनों बाद मिली हूं आपसे इसलिए भावुक हो गई।” अच्छा ठीक है बेटा शहर में मुझे अच्छी नौकरी मिल गई है। मैं तुम्हे अपने साथ ले जाने के लिए आया हूं। तुम्हारा एडमिशन भी मैं वहीं अच्छे स्कूल में करा दूंगा।”।
पापा की ये सब बातें सुन कर चीनू बहुत ज्यादा खुश थी। विना और चाची चीनू से माफ़ी माँगने लगी कि हमने तुम्हे बहुत परेशान किया है चीनू हो सके तो हमें माफ कर देना। चीनू का दिल इतना बड़ा था, उसने कहा, “चाची आप मेरी माँ जैसी है आप मुझसे माफी मत माँगो। विना तुम मेरी बहन हो मैं तुमसे प्यार करती हूं। फिर चीनू खुशी खुशी पापा के साथ शहर चली गई।
कहानी से सीख
इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी किसी से ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए। सबके साथ प्यार से रहना चाहिए।