Junk Food Story in Hindi | जंक फूड की कहानी

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By Nanhe Kisse Anek


Junk Food Story in Hindi

यह कहानी है एक छोटे से शहर की। जिसमें मोहन अपने माता-पिता के साथ रहता था। मोहन की आयु नौ वर्ष थी। वह पांचवीं कक्षा में पढ़ता था। वह एक खुशमिजाज और ऊर्जावान बच्चा था। वह अपने स्कूल की दौड़ प्रतियोगिता में हमेशा जीतता था। उसके चेहरे पर हमेशा हंसी रहती थी। स्कूल की छुट्टी के बाद वह बाहर दुकान पर पिज्जा, पेस्ट्री, ग्रिसी बर्गर ये सब चीजें देखता था। junk food storyये चीजें देखकर उसकी आंखें बड़ी हो जाती थी और उसके मुंह में पानी भर जाता था। उसने धीरे-धीरे घर का पौष्टिक खाना कम कर दिया। उसे बाहर का खाना अच्छा लगने लगा। एक समय ऐसा आया कि मोहन को नमकीन चिप्स, बर्गर, पेस्ट्री और पिज्जा ये सब चीजें ही अच्छी लगने लगी। अब घर का खाना उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था। उसके माता-पिता उसे बहुत समझाते थे, “बेटा घर का खाना ही पौष्टिक और स्वादिष्ट होता है। तुम्हारे ये बर्गर, पिज्जा नही। लेकिन मोहन कहता, “मुझे तो यह सब चीजें स्वादिष्ट लगती है। इन्हें खाने में भी बड़ा मजा आता है।” 

मोहन की मां उसके लिए तरह-तरह के व्यंजन बनाती, ताकि वह घर का खाना ही खाए। लेकिन मोहन दौड़ कर दुकान पर जाता और जंक फूड खरीद कर खा जाता। रात को मोहन अपने माता-पिता के साथ खाना खाने के लिए बैठा। सब ने खाना शुरू किया। लेकिन मोहन ने अपनी प्लेट आगे की तरफ कर दी। उसके माता पिता ने पूछा, “क्या हुआ बेटा? तुम खाना क्यों नहीं खा रहे।” avoiding healthy foodमोहन ने कहा, “मुझे नहीं खाना ये बेकार सा खाना। मुझे तो पिज्जा खाना है।” मां ने प्यार से कहा, “बेटा देखो तो मैंने तुम्हारा मनपसंद आलू वाला देसी घी का परांठा बनाया है। ये पिज्जा से बहुत ज्यादा स्वादिष्ट है। मोहन जिद करता है, “नहीं मुझे तो पिज्जा ही खाना है।” मां गुस्से से बोली, “चुपचाप यह खाना खाओ। कोई पिज्जा नहीं मिलेगा।” मोहन ने एक-दो टुकड़े खाने के बाद सबकी नज़रों से बचते हुए अपना सारा परांठा खाने की मेज के नीचे फेंक दिया। 

सुबह जब मोहन स्कूल के लिए निकला तो उसकी मां ने उसे दूध पीने के लिए दिया। लेकिन मोहन ने कोल्ड ड्रिंक पीने की जिद की। मां ने फिर से उसे समझाते हुए कहा, “बेटा ये सब चीजें हमारे स्वस्थ के लिए अच्छी नहीं होती।” इतना कहकर मां किचन में चली गई। मोहन ने सारा दूध चुपके से एक फूलदान में उड़ेल दिया और स्कूल चला गया। मोहन की मां ने जब घर की सफाई की तो उन्हें सफाई करते हुए वो परांठा मिला जो मोहन ने मेज के नीचे फेंका था। मां ने मोहन के पिता को बताया, “मोहन ने रात सारा खाना नीचे डाल दिया था और आज दूध भी फेंक कर चला गया। मैंने चुपके से उसे ऐसा करते हुए देखा था।” मोहन के पिता ने कहा, “हां मैं देख रहा हूं, किस तरह वह रोज जंक फूड खाने के लिए जिद करता है। वह दिन पर दिन कमजोर भी होता जा रहा है। समझ नहीं आ रहा, उसका बाहर का खाना कैसे छुड़ाए।” मोहन के माता पिता उसके खानपान को लेकर बहुत चिंतित थे। 

दो दिन बाद मोहन के स्कूल में खेल दिवस की घोषणा हुई। सभी छात्र अलग अलग एथलेटिक् इवेंट्स में भाग लेने के लिए तैयारी कर रहे थे। मोहन भी इसमें हिस्सा लेने के लिए उत्सुक था। क्योंकि वह अपने स्कूल में रिले रेस के लिए जाना जाता था। इवेंट के नजदीक आने तक अचानक मोहन ने अपने आप को सुस्त और कमजोर महसूस किया। खेल दिवस वाले दिन मोहन दौड़ प्रतियोगिता के लिए तैयार था।loosing race जैसे ही दौड़ शुरू हुई थोड़ी दूर भागने पर ही उसकी सांस फूलने लगी। मोहन के पेट में अचानक से बहुत दर्द होने लगा और वह लड़खड़ा कर गिर गया और रेस हार गया। 

मोहन के माता पिता उसे घर ले आए। उन्होंने मोहन को समझाया “मोहन ये सब तुम्हारे बर्गर, पिज्जा, कोल्ड ड्रिंक और चिप्स खाने के कारण हुआ है। इन्ही सब चीजों को खाने से तुम अस्वस्थ हुए हो। स्कूल में तुम अपनी गति और चुस्ती के लिए जाने जाते थे। रेस में हमेशा जीतते थे। क्योंकि तब तुम घर का ही पौष्टिक आहार खाते थे। मोहन को भी एहसास हुआ कि कैसे उसने अपना स्वस्थ बाहर का खाना खाकर खराब कर लिया। मोहन ने अपने माता पिता से कहा, “आज मेरे कारण मेरी टीम हार गई। अब मैं कभी बाहर का खाना नहीं खाऊंगा। सिर्फ घर का ही स्वादिष्ट और पौष्टिक खाना खाऊंगा। पहले की तरह स्वस्थ और ताकतवर बनूंगा।” उसकी ये सब बाते सुनकर उसके माता पिता खुश हो गए।junk food vs healthy food 

कहानी से शिक्षा:

इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती हैं कि हमें हमेशा अपने घर का बना हुआ पौष्टिक खाना, खाना चाहिए, बाहर का जंक फूड नहीं।


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