Sone Ke Aloo Story In Hindi
दृश्य सूची
परिवार का परिचय और बच्चों की प्रार्थना
एक समय की बात है, जब एक छोटे से गांव में एक साधारण सा परिवार रहता था। इस परिवार में दो भाई-बहन, प्यारे माता-पिता और बूढ़ी दादी थी। पापा एक किसान थे। उनके पास थोड़ी सी जमीन थी जिसमें वे कभी गेहूं, चावल और मक्का जैसी फसल बो कर अपना गुजारा करते थे। दादी बहुत धार्मिक थी। रोज की तरह वह पास वाले मंदिर गई थी। घर आकर उन्होंने सबसे पहले पेड़े का प्रसाद अपनी लाडली नीतू को दिया। नीतू ने प्रसाद लेते हुए भगवान से प्रार्थना करी कि भगवान जी आज मेरा इंग्लिश का टेस्ट है। आज मैडम की तबीयत खराब कर दो ताकि वह स्कूल ही ना आए।
फिर दादी ने रोहन को प्रसाद दिया तो रोहन ने भी ऐसी ही उल्टी-सीधी प्रार्थना करी। तब मम्मी ने दोनों को समझाया, “रोहन, नीतू बहुत गंदी बात है ऐसे कभी किसी का बुरा नहीं सोचते। भगवान जी से प्रार्थना करो अपने और सबके अच्छे के लिए।” दादी भी बोली, “हां बच्चों तुम्हारी मम्मी बिल्कुल ठीक कह रही है। हमें कभी किसी का बुरा नहीं सोचना चाहिए। भगवान से प्रार्थना करनी है तो अपने अच्छे के लिए करो।“
ट्रक से गिरी एक आलू की बोरी
इसी बीच, बच्चों के पापा भी खेत का काम खत्म करके घर आ गए। वे अपने साथ एक बड़ी सी बोरी भी लेकर आए थे। दादी ने पूछा, “अरे, बेटा इस बोरी में क्या भरकर लाए हो?” माँ ये बोरी एक चलते ट्रक से नीचे गिर गई थी। मैंने उन्हें पीछे से आवाज भी लगाई लेकिन उन्होंने सुना ही नहीं, तो में इसे उठा कर घर ले आया। चलो खोल कर देखते है इसमें क्या है? दोनों बच्चे भी उत्सुकता से देखने लगे। बोरी खोली तो उसमें आलू भरे हुए थे। नीतू ने कहा, “मम्मी अब तो आपको आलू खरीदने ही नहीं पड़ेंगे, पापा कितने सारे आलू ले आए।” मम्मी ने जवाब दिया, “नहीं बेटा ये आलू हमारे नहीं हैं। हम इन्हें या तो दान कर देंगे या फिर गरीबों में बांट देंगे।” दादी और पापा भी मम्मी की बात से सहमत हो गए।
घर पर टूटा मुसीबतों का पहाड़
अगले दिन, सुबह मम्मी और पापा एक यात्रा पर निकल गए। दादी और बच्चे घर पर ही थे। शाम को खबर मिली कि मम्मी पापा के साथ एक गंभीर दुर्घटना घट गई है। परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। कुछ दिनों तक परिवार सदमे से निकल नही पाया। दादी भगवान के सामने खूब रोई और प्रार्थना करी। फिर दादी ने थोड़ी हिम्मत करी और दोनों बच्चों को गले से लगा लिया। “बच्चों अब हम ही एक दूसरे का सहारा है।” परिवार के पालन-पोषण का जिम्मा दादी के कंधों पर आ गया था। घर में पहले से ही आर्थिक तंगी थी और इसके चलते उन्हें अपनी खेत की जमीन भी बेचनी पड़ी। कुछ दिनों बाद जमीन से मिले पैसे भी खत्म हो गए। दादी ने अपने आप से कहा, “ऐसे तो दो टाइम का खाना, खाना भी मुश्किल हो जायेगा, कुछ तो करना ही पड़ेगा।”
दादी का संघर्ष
सुबह बच्चों को स्कूल भेजने के बाद, दादी को याद आया की वह आलू की बोरी अभी भी घर पर ही रखी है। दादी ने बोरी उठाई, और आलू बेचने सब्जी मंडी पहुंच गई। दादी ने 200-300 की बचत पर सारे आलू बेच दिए। उन्हें एक आशा मिल गई थी कि रोज ऐसे ही आलू खरीदूंगी और बचत पर बेच दिया करूंगी। घर का खर्चा भी निकल जाया करेगा और बच्चों की पढ़ाई भी। रोज की तरह जब दादी घर लौट रही थी, तो वो ठोकर खाकर गिर गई। एक साधु वही बैठा था, उसने दादी को उठाया और उनसे पूछा, “इतनी वृद्ध अवस्था में आप अकेले कहाँ जा रही हो?” दादी ने बताया कि मैं यही पास की मंडी में आलू बेचती हूँ। साधु ने पूछा, “ऐसी क्या मजबूरी हो गयी कि आपको इतनी वृद्ध अवश्था में आलू बेचने पड़ रहे हैं?” तब दादी ने साधु को अपनी सारी आपबीती बताई।
साधु ने दादी को आलू की एक पोटली देते हुए कहा, “सभी आलू को अपने खेत में बो देना। इनसे सोने के आलू उग आएंगे।” दादी ने कहा, “बाबा सोने के आलू !! और मेरे पास तो जमीन भी नहीं है। मैं इन्हें कहा बोऊंगी?” बाबा ने कहा, “हाँ सोने के आलू। और हाँ, यहां से 50 कोस दूर एक बंजर भूमि है। वो तुम्हें बहुत सस्ते दाम पर मिल जाएगी।” दादी ने इधर-उधर से पैसों का इंतजाम करा और जमीन खरीद ली। दादी ने विश्वास करके बच्चों की मदद से जैसा साधु ने कहा था, वैसे ही आलू बो दिए।
सोने के आलू की खेती
कुछ दिनों बाद खेत में वाकई सोने के आलू उग आए। किसी को भी अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था। दादी ने बाजार जाकर कई गुना ऊंची कीमत पर आलू को बेच दिया। उनकी आर्थिक स्थिति पहले से बहुत ज्यादा अच्छी हो गई। दादी ने जो पैसे उधार लिए थे उन्हें भी चुकता कर दिया। दादी और बच्चे भगवान का धन्यवाद करने मंदिर चले गए। जैसे ही वे मंदिर के अंदर गए उन्हें अपने माता-पिता दिखे। बच्चे खुशी से मम्मी-पापा के गले लग गये। सभी खुशी से रोने लगे।
दादी ने पूछा, “बेटा ये सब चमत्कार कैसे हुआ?” मम्मी ने बताया, “मां जी एक्सीडेंट से हम बहुत ज्यादा घायल हो गए थे। एक भले इंसान ने हमें टाइम से हॉस्पिटल पहुंचा दिया। हमें ठीक होने में इतना टाइम लग गया। जैसे ही हम ठीक हुए तो हम भगवान का धन्यवाद करने मंदिर आ गए।” दादी ने भावुकता से कहा कि भगवान की बहुत कृपा है मेरे परिवार पर। फिर सब घर चले गए। बच्चों ने मम्मी-पापा को सोने के आलू के बारे में बताया। उन्हें भी विश्वास नहीं हुआ। जब उन्होंने खेत में जाकर देखा तो वो हैरान थे।
वास्तव में वे कोई सोने के आलू नहीं थे। बल्कि सोने के आलू से साधु का तात्पर्य था, आलू की ऐसी फसल जो सर्वोत्तम होने के कारण बहुत ज्यादा दाम पर बिक सके।
कहानी से सीख
इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि मुसीबत के समय किया गया संघर्ष, सकारात्मक सोच और प्रार्थनाएं हमें ऊंचाइयों तक लेकर जा सकती है।