Maa Durga Aur Mahishasura Ki Kahani | माँ दुर्गा और महिषासुर की कहानी | Maa Durga Story in Hindi

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By Nanhe Kisse Anek


Maa Durga Aur Mahishasura Ki Kahani

परिवार की मां दुर्गा के प्रति आस्थाMaa Durga

यह कहानी है एक छोटे से परिवार की, जिसमें दो प्यारे बच्चे चिंकी, गोलू, उनकी मम्मी और दादी रहते थे। दोनों बच्चे बहुत नटखट थे। वे घर में सबसे ज्यादा अपनी दादी के लाडले थे। पूरे परिवार की दुर्गा माँ में बहुत आस्था थी। सब मिलकर रोज माँ दुर्गा की पूजा करते थे। इस बार भी नवरात्रि आने वाले थे। बच्चों की मम्मी, दादी के साथ मिलकर नवरात्रि की तैयारी में जुट गई। मम्मी और दादी को देख, चिंकी और गोलू आपस में बातें कर रहे थे, “अरे चिंकी बड़ा मजा आने वाला है। नवरात्रि में मम्मी रोज कितना अच्छा-अच्छा खाना बनाती है, माता रानी को भोग लगाने के लिए।” चिंकी ने कहा, “हाँ गोलू सही कहा। और आखिरी वाले दिन तो हलवा, छोले और पूरी भी मिलेंगे। मुझे तो सोच कर ही मुंह में पानी आ रहा है।” इतना कहकर दोनों बच्चे खेलने लगे।

नवरात्रि की तैयारी और बच्चों की जिज्ञासा
chinki and golu with grandmother

दो दिन बाद ही नवरात्रि का पहला दिन आया। सब पूजा की तैयारी कर रहे थे। मम्मी ने चिंकी और गोलू को भी अपने साथ काम पर लगा लिया। पास में ही दादी भी बैठ कर फूलों की माला बना रही थी। मम्मी ने माता रानी की चौकी लगाई और सुंदर श्रृंगार किया। दोनों बच्चे आपस में फुसफुसा रहे थे। दादी ने उन्हें देखा और बोली, “मेरे प्यारे बच्चों क्या हुआ? क्या बाते कर रहे हो दोनों? गोलू ने कहा, “दादी, चिंकी पूछ रही है दुर्गा माँ कौन है? और माता रानी के इतने सारे हाथ क्यों है?” तभी मम्मी बोली, “माँ जी ये बच्चे ना आपको काम नहीं करने देंगे। ऐसे ही सवाल जवाब करते रहेंगे।” दादी मंद मुस्कुराई और कहा, “अच्छा ही तो है, बच्चे जिज्ञासु है, माता रानी की महिमा जानने के लिए।” दादी ने चिंकी और गोलू से पूछा, “बच्चों बताओ माँ दुर्गा की कहानी सुनोगे?” बच्चे खुशी से बोले, “हाँ दादी जरूर सुनेंगे।” वे दोनों बहुत उत्सुक थे। दादी ने माँ दुर्गा की कहानी सुनाना शुरू किया।

मां दुर्गा और महिषासुर का युद्ध

बहुत हजारों साल पहले महिषासुर नाम का एक अत्याचारी राक्षस था। उसने कठोर तपस्या करके ब्रह्मा जी से अमर होने का वरदान माँगा था। उसने स्वर्ग पर आक्रमण करके सभी देवों को स्वर्ग से निकाल दिया था। सभी देवता मदद माँगने त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु और शिव जी) के पास गए। महिषासुर का अंत करने के लिए तीनों देवताओं ने अपने तेज को समाहित करके आदिशक्ति माँ दुर्गा की उत्पत्ति करी। शिव जी के तेज से माँ दुर्गा का मुख बना, भुजाएँ विष्णु जी के तेज द्वारा और ब्रह्मा जी के तेज से चरण बने। इस प्रकार सभी देवताओं की शक्ति से माँ दुर्गा के विभिन्न अंगों का निर्माण हुआ। सभी देवताओं की शक्तियों से मिलकर बनी थी माँ दुर्गा। उनके जैसा शक्तिशाली कोई नहीं था।

माँ के रूप को ही देख महिषासुर की सेना थर-थर कांपने लगी थी। बच्चों तुम पूछ रहे थे ना माता रानी के इतने सारे हाथ क्यों है? तो सुनो, माँ दुर्गा की आठ भुजाएँ हैं, और देवताओं ने माँ दुर्गा की आठों भुजाओं को सभी प्रकार के अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित किया। जैसे शंकर जी ने त्रिशूल दिया। विष्णु जी ने चक्र और राम जी ने धनुष। महिषासुर की सेना बहुत बड़ी थी। सिर्फ एक-दो शस्त्र द्वारा सभी राक्षसों से युद्ध करना संभव नहीं था, इसलिए माँ दुर्गा की आठ भुजाएँ बनाई गई और सभी भुजाओं में शस्त्र दिए गए। 

बुराई पर अच्छाई की जीत
Maa Durga Ki Kahani

आठों दिशाओं में माँ दुर्गा ने राक्षसों का संहार किया। महिषासुर को जैसे ही माँ दुर्गा की  सूचना मिली, वह माँ दुर्गा से मिलने चला आया। उसने माँ दुर्गा के सामने शादी का प्रस्ताव रखा। माँ दुर्गा ने कहा, “महिषासुर युद्ध करो। अगर तुम युद्ध में विजयी हुए, तो में तुम्हारा प्रस्ताव स्वीकार करूंगी।” महिषासुर युद्ध के लिए तैयार था। माँ दुर्गा और महिषासुर रणभूमि में उतर आए। काम, लोभ, मोह और क्रोध के कारण महिषासुर अपना विवेक खो चुका था। यह युद्ध लगभग नौ दिन चला। आखिरकार माँ ने उसकी सेना और उसका अंत कर ही दिया। माँ दुर्गा ने देवताओं को महिषासुर के आतंक से बचाया। सभी देवताओं ने माँ के ऊपर फूलो की बारिश की और जोर से माँ दुर्गा की जय जयकार करने लगे।

कहानी सुनकर बच्चे जोर जोर से माँ दुर्गा के जयकारे लगाने लगे। फिर दादी ने कहा, “दुर्गा माँ जगत जननी है। वह हम सब की माँ है। दुर्गा माँ तेज और शक्ति का प्रतीक है। माँ बहुत करुणामयी और ममतामयी है, जो अपने बच्चों की हमेशा रक्षा करती है और उनके दुखों को हरती है।” इस प्रकार दादी से मां दुर्गा की महिमा सुनकर चिंकी और गोलू की श्रद्धा मां के प्रति और बढ़ गई। सभी ने मिलकर दुर्गा माँ की पूजा करी और जयकारे लगाए। “जय मां दुर्गा”।


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