Bird Story in Hindi | पक्षियों की कहानी
दृश्य सूची
सोना और उसके तीन छोटे बच्चे
यह कहानी उस समय की है, जब एक हरे-भरे जंगल के किसी शांत कोने में एक चिड़िया बसी हुई थी, जिसका नाम सोना था। वह अपने तीन प्यारे, छोटे-छोटे बच्चों के साथ वहाँ रहती थी। उसके सुंदर और आरामदायक घर एक लंबे बरगद के पेड़ की शाखाओं में छिपा हुआ था। वह एक साहसी और समर्पित मां थी।
सोना रोज़ अपने बच्चो को जीवन जीने का पाठ पढ़ाती। उन्हें कैसे उड़ना है? खाने की तलाश कैसे करनी है? मुसीबत के समय अपनी रक्षा कैसे करनी है? इस तरह ये सब बाते रोज सोना अपने बच्चों को सिखाती। सोना रोज़ सोते समय उन्हें मीठा और सुरीला गीत गाकर सुनाती थी। उसकी सुरीली धुन बच्चों के दिल को खुशी से भर देती थी।
सोना और चीकू
सोना का एक पुराना दोस्त चीकू (कौआ) था। वह पास के पेड़ पर ही रहता था। वह अक्सर सोना के साथ खाने की तलाश में उसके साथ जाया करता था। जब सोना बच्चों के लिए खाना लेने निकली उसका दोस्त चीकू भी आ गया। चीकू ने सोना से पूछा, “सोना क्या तुमने उस क्रूर चील के बारे में सुना? कल उसने कबूतर के बच्चों को अपना खाना बना लिया। सभी कबूतर के लिए दुखी है। सारे पक्षी अपने-अपने बच्चो को लेकर बहुत डरे हुए हैं।” सोना ने बताया, “हां भाई चीकू मैंने भी सुना है कि उसने कबूतर के दो बच्चों को खा लिया, अगर वो समय से न आती तो वो दुष्ट चील उसके तीसरे बच्चे को भी खा जाता।” चीकू ने आगे बताया, “देखो सोना मैं तुम्हे डरा नहीं रहा बल्कि बहुत भारी दिल से बता रहा हूं की उस चील की निगाह अब तुम्हारे घर पर है। मैंने उसे आज तुम्हारे घर के ऊपर घूमते हुए देखा। तुम्हें अब सावधानी से रहना होगा।” सोना चीकू की बात सुन कर डर गई। उसका दिल दहला गया। घर पहुंचने पर उसने अपने प्यारे बच्चों को गले से लगाया। वह जानती थी कि उसके बच्चे अब खतरे में है।
सोना और चीकू की योजना
सुबह होते ही सोना ने अपने दोस्त चीकू से मदद मांगी। सोना ने चीकू से कहा, “चीकू भाई हमें उस अत्याचारी चील को यहां से भागना ही होगा। वरना वो हम सब के बच्चे बारी बारी से खा जायेगा।” चीकू सोना की बात से सहमत था। लेकिन उसने सोना से पूछा, “पर हम उस चील का सामना अकेले कैसे करेंगे?” सोना ने अपना प्लान चीकू को विस्तार से समझाया। सोना ने अपने बच्चों को चीकू के घर छोड़ दिया। दोनों दूसरे पक्षियों से मदद मांगने निकल गए।
सीधा सामना करने की बजाय, सोना ने अपनी बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल करके उस अत्याचारी चील को बेवकूफ बनाने का निर्णय लिया। उसने चीकू और दूसरे पक्षियों की मदद से मिलकर जानबूझकर दूसरे पेड़ में एक घोंसला बनाया, जो उसके असली घर के तरह दिखाई देता था। घोंसले के अंदर उसने पत्थर, कीड़े, टहनियां रख दिए और उन्हें घास से ढक दिया। उसने घोंसले की बनावट इस प्रकार की, मानो उसमें स्वयं उसके बच्चे बैठे हो। सोना जानती थी कि चील की तेज आंखें इस घोंसले को देखेंगी। सभी पक्षी छुप गए।
चील का हमला और पक्षियों का पलटवार
जब सूरज धीरे-धीरे ढलने लगा, चील सोना के घर के ऊपर चक्कर काटने लगा। बच्चो को अकेला समझ कर वह सोना के घर पर उतार गया। जैसे ही उसने हमला करा उसकी चोंच पत्थर से टकरा गई। उसने देखा सिवाय पत्थर, कीड़े और घास टहनियों के उसमें कुछ नहीं है। धोखा खाकर वह जोर से चिल्लाया। उधर सारे पक्षी तेजी से आये, और चील पर हमला बोल दिया। सबने अपनी चोंच मार मारकर चील को घायल कर दिया और दूर भगा दिया।
इस तरह सोना की चालाक योजना काम कर गई। सब खुशी से चहकने और गीत गाने लगे। सभी ने सोना से पूछा, “सोना तुम्हारे अंदर इतना साहस कैसे आया? तुमने अपने बच्चों के साथ साथ सबकी जान बचाई।” सोना ने कहा मुझे पता था कि बुद्धिमत्ता, तेज सोच और सबके साथ से बड़ी से बड़ी मुसीबत से निपटा जा सकता है। बस इसी सोच से आज हम सब ने मिलकर एक बड़ी मुसीबत का सामना किया और हम जीत भी गए। इस तरह ये सबके लिए एक यादगार घटना बनकर रह गई। सभी पक्षी अपने बच्चों को कहानी के रूप में इस सच्ची घटना को सुनाते ताकि वे भी अपने बच्चो को निडर और साहसी बना सके।
कहानी से सीख (Moral)
हमें जल्दबाजी में कभी कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए। हमें सूझबूझ और बुद्धिमानी के साथ काम करना चाहिए। एक साथ मिलकर हम बड़ी से बड़ी मुसीबत का सामना कर सकते हैं।
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