The Vanity of Beauty Story in Hindi
एक समय की बात है। जूनागढ़ नामक राज्य में एक रानी रहती थी। वह बहुत सुंदर और दयालु थी। उसकी सुंदरता के सब कायल थे। रानी की आंखे ऐसे चमकती थी मानो उनमें महंगे रत्न जड़े हो। उसके काले घने बाल, उसकी सुंदरता को चार गुना और बढ़ा देते थे। उसकी प्रजा भी उसकी सुंदरता का बखान करती रहती थी।दिन प्रतिदिन वह अपनी सुंदरता को लेकर बहुत संवेदनशील हो गई। हर वक्त अपने आप को आईने में निहारती रहती। स्वयं अपनी तारीफों के पुल बांधती। अगर महल में रानी के सामने से कोई उसकी बिना तारीफ करे निकल जाता तो उसे दंड दे देती।
एक बार रानी ने दासी को बगीचे से फूल लाने को कहा। वह उन फूलों को अपने बालों में सजा कर और सुंदर दिखना चाहती थी। लेकिन फूल ज्यादा ऊंचाई पर होने के कारण दासी को फूल लाने में देरी हो गई। वह डरते हुए रानी के कक्ष में पहुंची तो रानी ने उससे पूछा। “कहा रह गई थी तुम? फूल लाने में इतनी देरी क्यों? तुम नही चाहती ना की मै और सुंदर दिखाई दूँ। इससे पहले दासी अपनी सफाई में कुछ बोलती, रानी ने उसे वहां से दफा कर दिया।
इस तरह बस दिन रात वह अपनी सुंदरता के बारे में सोचती रहती। रानी सभी लोगों से अपनी प्रशंसा और सराहना की अपेक्षा करने लगी। सारा दिन वह आईने के सामने बैठकर अपने आप को निहारती रहती। वह अपनी सुन्दरता के घमंड मैं इतनी चूर हो गई थी कि उसने अपनी प्रजा के बारे में ही सोचना छोड़ दिया। प्रजा के लोगों की जरूरतों को नजरअंदाज करना शुरू कर दिया। वह तो बस हर वक्त अपने सौंदर्य के चिंतन में रहती। उसका सारा ध्यान अपनी सुंदरता के दिखावे पर रहने लगा। इस तरह रानी के कोमल और दयालु ह्रदय में अहंकार और क्रूरता ने जन्म ले लिया।
एक बार की बात है जब एक भिखारन महल के दरवाजे पे आ खड़ी हुई। उसने दरबारी से थोड़ा खाना और ठंड से बचने के लिए कुछ कपड़े मांगे। दरबारी ने जाकर रानी को सूचना दी। रानी स्वयं वहां गई और उस औरत को कहने लगी “तुम्हारे सामने दुनिया की सबसे सुंदर रानी खड़ी है, फिर भी तूने मेरी सुंदरता का बखान नहीं करा।” भिखारन ने कहा, “सुंदरता तो मन और हमारे व्यवहार की होती है।” रानी उस महिला की बात पर हंसने लगी। पर उसने रानी के कहने के बावजूद भी उसकी प्रशंसा नहीं की। रानी को क्रोध आ गया और उसे महल से बिना कुछ दिये उसका तिरस्कार करके निकाल दिया।
रात को सोते समय रानी ने सपना देखा कि धीरे-धीरे उसके चेहरे पर दाग और झुर्रियां आ गई। काले घने बाल सफेद हो गए। वह बिल्कुल उस महिला की तरह दिखाई देने लगी जिसे उसने बाहर निकाला था। रानी की जैसे ही आंखें खुलती है, वह दौड़ते हुए आईने की ओर जाती है। वह अपने आप को बिल्कुल वैसा ही पाती है जैसा उसने सपने में देखा था। इस तरह रानी का सारा घमंड टूट गया। वह अपने आप को हमेशा अंदर बंद करके रखती।
बहुत खोज और संघर्ष के बाद सिपाही को खबर मिली। उसने रानी को बताया कि दूर घने जंगल में एक विशेष फूल है जिसकी चमक से आप पहले की तरह सुंदर हो जाएंगी। रानी अपनी यात्रा के लिए निकल पड़ी। वह जंगल के रास्ते में प्रकृति के सौंदर्य को देखकर मन ही मन सोचती है, “मैं अपनी सुंदरता के घमंड में इतनी चूर हो गई थी कि मैं प्राकृतिक सौंदर्य को भूल ही गई थी। अच्छा हुआ मेरे साथ, मुझे अपनी गलती का तो एहसास हुआ।” एक लंबी और कड़ी खोज के बाद रानी को वह फूल मिल गया।
वह फूल सूरज की किरणों की तरह चमक रहा था। रानी आगे बढ़कर विशेष फूल के सामने खड़ी हो गई। रानी को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ जब उसकी पुरानी, बूढ़ी त्वचा एकदम पहले जैसी हो गई। राज्य लौटते ही रानी ने सभी से माफी मांगी। उसने गरीबों को खाना और कपड़े बांटे। करो मैं छूट दी। इस तरह पूरी प्रजा रानी से बहुत खुश हुई।
कहानी से शिक्षा:
रानी ने सीख लिया, “असली सुंदरता सिर्फ चेहरे कि नही, बल्कि दया, सहानुभूति और विनम्रता मे है।
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