Gareeb Parivar Ki Ganesh Chaturthi Story in Hindi | गरीब परिवार की गणेश चतुर्थी

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By Nanhe Kisse Anek


Gareeb Parivar Ki Ganesh Chaturthi Story in Hindi

एक गरीब परिवार था। जिसमे रामू, मीना और उनके दो बच्चे गीता व राजू रहते थे। वह परिवार गरीब जरूर था लेकिन ईमानदार भी था। भगवान के प्रति उनका अटूट विश्वास था। उनका मानना था कि एक दिन उनकी सारी समस्याएं ठीक हो जाएगी।

कुछ दिनों बाद गणेश चतुर्थी का त्योहार आया। सभी गणेश चतुर्थी के उत्सव की तैयारी में जुटे हुए थे। सभी के अंदर गणेश चतुर्थी को लेकर हर्षोल्लास भरा हुआ था। सभी लोग बाजार से मिट्टी के गणेश जी की मूर्ति खरीद कर ला रहे थे व घर ले जाकर स्थापित कर रहे थे। 

marketराजू और गीता भी अपने माता-पिता को गणेश जी की मूर्ति लाने के लिए कहते हैं। रामू व मीना बच्चों को मना करते हुए कहते हैं “बेटा तुम सब अच्छे से जानते हो कि हमारे घर की स्थिति अच्छी नहीं हैं। अगर बप्पा को लाएंगे तो उन्हें तरह तरह के फल, पकवान और मिठाई खिलानी पड़ेगी। लेकिन हमारे पास तो इतने पैसे ही नहीं है। ऐसे तो गणेश जी हमारे घर भूखे रह जाएंगे। अब हम उन्हे अपने जैसा खाना तो नहीं खिला सकते ना।” राजू और गीता हाथ जोड़कर भगवान से कहते है, “हे गणपति बप्पा हम इस साल तो आपको नहीं ला सकते। लेकिन अगले साल आपका बहुत अच्छे से स्वागत करेंगे।” इतना कहकर राजू और गीता सिसकियां भर रोने लगते है।

उनकी ये सब बाते गणेश भगवान जी सुनकर मुस्कुराने लगते है और कहते हैं, “ना जाने क्यों मेरे भक्तों को ऐसा लगता है कि मैं उनके अनेक प्रकार के व्यंजनों और भोग से प्रसन्न होता हूं। उन्हें ज्ञात नहीं कि मैं तो भक्ति और भाव से खुश रहता हूं।” परिवार का भगवान के प्रति इतना प्यार और अटूट विश्वास देखकर गणेश जी एक बालक का रूप धारण करते हैं और उस गरीब परिवार के घर पहुंच जाते हैं और कहते है, “मेरा नाम गणेशा है। क्या मैं यहां कुछ दिनों के लिए यहां रह सकता हूं? मैं अपना रास्ता भटक गया हूं। इतने मासूम और प्यारे बच्चे को देख रामू व मीना उसे मना नहीं कर पाते हैं और अपने घर के अंदर बुला लेते हैं। गणेशा कहता है, “आज से तो गणेश उत्सव शुरू हो गया है। क्या आपने बप्पा की मूर्ति स्थापित नहीं की?” रामू बोलता है, “नहीं बेटा हमारे पास इतने पैसे नहीं, कि हम बप्पा को अपने घर बुलाए।” गणेशा कहता है, “भगवान कभी भी धन दौलत देखकर किसी के घर नहीं आते बल्कि प्यार और भाव से आते है।आपके घर भी बप्पा जरूर आएंगे। इतना कहकर गणेशा, राजू व गीता को अपने साथ बाहर ले जाता है। वे सब मिलकर मिट्टी से भगवान गणेश जी की एक मूर्ति बना देते हैं। राजू और गीता अपने माता-पिता को बुलाने अंदर जाते हैं। तभी गणेश जी अपने चमत्कार से उस मूर्ति में रंग भरकर उसे और भी सुंदर बना देते हैं। 

Ganesh Chaturthi - Ganesh Jiजब सब बाहर आते हैं, तो बप्पा की इतनी सुंदर मूर्ति देखकर हैरान व खुश हो जाते हैं। फिर वे मूर्ति को अंदर ले जाकर स्थापित कर देते हैं। सभी मिलकर गणेश भगवान की पूजा करते हैं। लेकिन मीना को अंदर ही अंदर चिंता सताती है, “बाप्पा तो घर आ गए, लेकिन अब भोग कहां से लाऊं?” गणेशा मुस्कुराते हुए मीना के पास जाता है और कहता है, “घर में जैसा भी रूखा सूखा है आप वही ले आइये।” मीना अचंभे से गणेशा की तरफ देखती है और कहती है, “तुम्हे कैसे पता की मै भोग के बारे में सोच रही हूं।” गणेशा मुस्कुराते हुए अपनी जगह जाकर बैठ जाता है। फिर मीना एक सूखी रोटी और नमक लाकर भगवान जी के सामने रख देती है। सब हाथ जोड़ कर प्रार्थना करने लगते हैं। देखते ही देखते सुखी रोटी और नमक अच्छे और स्वादिष्ट आहार में बदल जाते हैं। सभी गणपति बप्पा का जोर से जयकारा लगाते हैं और धन्यवाद करते हैं।इस तरह भगवान रोज पूजा की सामग्री और भोजन प्रकट कर देते और सभी अच्छे से मिलकर पूजा करते।

किसी को भी इस बात का अंदाजा तक नहीं था कि गणेश जी स्वयं एक बालक के रूप में उनके साथ रह रहे हैं। गणेश विसर्जन के दिन गणेशा को छोड़कर सभी तैयार हो जाते हैं। रामू, गणेशा से पूछता है, “बेटा गणेशा तुम अभी तक तैयार नहीं हुए?” वह कहता है, “आप सभी बप्पा को लेकर चलिए मैं पीछे-पीछे आता हूं। सभी बप्पा की मूर्ति को उठाकर चल देते हैं। मूर्ति के विसर्जन के समय सभी गणेशा को याद करते हैं। उधर गणेश जी वापस शिवलोक चले जाते हैं। बाप्पा को विसर्जित करके जब रामू अपने पूरे परिवार के साथ घर आता है तो सबकी आंखे खुली की खुली रह जाती हैं। उनके टूटे फूटे घर की जगह एक सुंदर सा घर खड़ा होता है। सारा घर सोने चांदी के सिक्कों से भर जाता है।

pots of coinsराजू और गीता कहते है, “देखो मम्मी पापा हमारे दिन बदल गए। भगवान गणेश जी ने हमे कितना सुंदर घर और इतना सारा धन दिया है।” मीना कहती है, “इसलिए ही तो गणेश जी को विघ्न हरता कहते हैं।” देखो भगवान ने कैसे हमारे सारे दुःख खत्म कर दिए। तभी रामू कहता है, “लेकिन गणेशा कहाँ है, वह मूर्ति विसर्जन के समय भी नही आया।” सब गणेशा को ढूंढने के लिए निकल पड़ते हैं। लेकिन वह कही नही मिलता। सभी थक कर घर वापस आ जाते हैं। तभी अचानक से आवाज आती है, “तुम सब घबराओ मत। मैं सिर्फ इतने ही दिन के लिए धरती पर आया था।” सभी समझ जाते है कि गणेश जी ही गणेशा बनकर उनके बीच रह रहे थे। वे सभी हाथ जोड़ भगवान का कोटि कोटि धन्यवाद करते हैं।


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