यह कहानी है एक बच्चे की जो छोटे से शहर में रहता था। उसका नाम था मोहित। वह बहुत बुद्धिमान और उत्सुक बच्चा था। उसकी पढ़ाई में बहुत रुचि थी और वह हर साल अच्छे नंबरों से अपनी क्लास में टॉप करता था। इसी कारण वह अपनी टीचर का भी पसंदीदा छात्र था। वह दूसरे बच्चों की भी पढ़ाई में मदद करता था। उसके माँ-पापा दोनों ही नौकरी करते थे और वो मोहित से बहुत खुश रहते थे क्योंकि वह हमेशा उनकी बात मानता था और उनका अच्छा बेटा बनकर रहता था।
एक समय की बात है जब मोहित के माँ-पापा घर के लिए एक बड़ा सा नया टीवी लाते हैं जिसे देखकर मोहित बहुत उत्साहित हो जाता है और खुशी से कूदने लगता है। उसने पहले कभी इतना बड़ा टीवी नहीं देखा था। जब वह पहली बार टीवी के सामने बैठता है, तो वह बहुत आकर्षित हो जाता है। अगले दिन वह अपनी क्लास में अपने सभी दोस्तों को अपने नए टीवी के बारे में बताता है, जिसमें सब कुछ बहुत अच्छा और बड़ा दिखता है। मोहित सभी दोस्तों से पूछता है क्या तुम सब मेरे घर चलोगे? तुम्हें टीवी देखकर बड़ा मजा आएगा। इस तरह सभी दोस्त उसके घर आ जाते हैं और खूब मनोरंजन करते हैं। माँ सभी के लिए अच्छे और स्वादिष्ट पकवान बनाती है। मोहित और उसके दोस्तों को टीवी देखते देखते बहुत समय बीत जाता है। माँ अंदर से गुस्से में आवाज़ लगाती है “बच्चों चलो अब टीवी बंद कर दो।” माँ की आवाज़ सुनते ही मोहित टीवी बंद कर देता है और सभी अपने घर चले जाते हैं।
अब मोहित को टीवी देखने में इतना मजा आने लगा था कि वह सुबह उठते ही टीवी के सामने बैठ जाता, जिसके कारण उसे कभी-कभी स्कूल पहुंचने में भी देरी हो जाती थी। उसे वीडियो गेम्स, कार्टून शोज और टीवी के अनेक शो देखने में मजा आता था और इस तरह वह टीवी देखने में बहुत सारा समय बिताने लगा। मोहित का इस तरह ज्यादा समय तक टीवी देखना उसके माँ-पापा को बहुत चिंतित करने लगा। उन्होंने उसे समझाया कि उसकी आंखें कमजोर हो जाएँगी और चश्मा लग जाएगा। लेकिन वो उनकी बातों पर कोई ध्यान नहीं देता था और अपना सारा समय टीवी देखने में गवाह देता था।
एक दिन उसके स्कूल में एक महत्वपूर्ण परीक्षा थी लेकिन टीवी देखने के चलते मोहित ने अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं दिया और परीक्षा में उसके नंबर बहुत कम आए। उसे टीचर से डांट भी पड़ी। टीचर ने बोर्ड पर कुछ लिखा और मोहित को पढ़ने के लिए बोला। लेकिन मोहित चुप खड़ा रहा और कुछ नहीं बोला। इस तरह उसका पढ़ाई में कमजोर होते जाना उसकी टीचर को परेशान कर देता है और अगले ही दिन टीचर उसके माँ-पापा को स्कूल बुलाती है।
शिकायत मिलने पर उसके माँ-पापा स्कूल जाते हैं। टीचर उनको बताती है कि मोहित पढ़ाई में बहुत कमजोर हो गया है। उसका होमवर्क भी पूरा नहीं होता और जब भी वो उसे बोर्ड पर से कुछ पढ़ने के लिए बोलती है तो वो चुप खड़ा हो जाता है। ये सब सुनकर उसके माँ-पापा चिंतित हो जाते हैं और उस से इसकी वजह पूछते हैं। तब वह बताता है कि उसे बोर्ड पर कुछ साफ नहीं दिखाई देता, सब धुंधला नजर आता है। यह सुनकर मोहित की माँ गुस्से में कहती है, “ये सब तुम्हारा टीवी देखने का नतीजा है।” डांट सुनकर मोहित को दुख होता है और वह जोर-जोर से रोने लगता है। उसे अपनी ग़लती का एहसास होता है और वह अपने माँ-पापा से माफ़ी मांगता है और टीवी नहीं देखने का निर्णय लेता है।
फिर मोहित के माँ-पापा उसे डॉक्टर के पास ले जाते हैं और उसकी आंखों की जांच कराते हैं। डॉक्टर उसे चश्मा लगा देते हैं ताकि उसे साफ दिखने लगे और वह अपनी पढ़ाई अच्छे से कर सके। साथ ही डॉक्टर उसको सलाह भी देते हैं कि अगर उसने अब और ज्यादा टीवी देखा तो उसे और मोटा चश्मा लग जाएगा। मोहित यह सुनकर डर जाता है और प्रॉमिस करता है कि वह अब टीवी नहीं देखेगा और अच्छे से पढ़ाई करेगा और पहले की तरह अपनी क्लास में अच्छे नंबर लाएगा। यह सुनकर सब खुश हो जाते हैं।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कम से कम टीवी देखना चाहिए और हमेशा अपने बड़ों की बात माननी चाहिए।
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